अच्छा हमको भी लगता है
सुख-सद्भावों की बात करें!
पर शान्ति अगर कोई न चाहे
कैसे उसका दम भरते रहें!
अच्छा हमको भी लगता है
मीठे झरने से बहते रहें!
पीठ में खंजर कोई घोंपा करे
फिर कैसे प्रीत की राह चलें!
अच्छा हमको भी लगता है
रंगीं फूलों से बिखरा करें!
यदि लाल रंग ही शेष बचे
कैसे शान्ति की बात करें!
अच्छा हमको भी लगता है
सब आबाद रहें खुशहाल रहें!
वो गुलशन जो बर्बाद करें
हम कैसे चमन गुलज़ार करें!
अच्छा हमको भी लगता है
चंदन से तिलक करते ही रहें!
वो शीश हमारा जो चाहें
कैसे हम ये स्वीकार करें!
‘मणि’
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