ये टूटे-से सपनों की चुभती-सी किरचें
ये वीरां से चेहरों पे मुर्दा-सी आँखें
ये जलते दिलों के बिखरे घरौंदे
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ?
कहाँ हैं….कहाँ हैं….कहाँ हैं……..
ये छलनी हुई इज़्ज़तों की कराहें
ये रोती हुई माँ की बेबस-सी आहें
ये बेटी न देने की माँगें दुआएँ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ?
कहाँ हैं….कहाँ हैं….कहाँ हैं……..
ये मसली हुई कलियाँ ये अन्धेरी गलियाँ
ये लक्ष्मी ये अंबा ये दुर्गा ये सीता
ये कहने को पूजनीय देवियाँ हैं
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ?
कहाँ हैं….कहाँ हैं….कहाँ हैं……..
ये पत्थर के इन्सां बने आज शैतान
ये बेटी-बहन के दुश्मन ये हैवान
अरे! ये तुम्हारी जीवनदायिनी माँ !
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ?
कहाँ हैं….कहाँ हैं….कहाँ हैं……..
ये लुटते भरोसे ये गिरते हुए ईमां
ये उखड़ी-सी साँसें ये बिखरे हुए अरमां
ये मासूमियत की जलती चितायें
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ?
कहाँ हैं….कहाँ हैं….कहाँ हैं……..
ऐ भाई ! ऐ बेटे ! ज़रा तुम भी आओ
इस लुटती बहन को ज़रा तुम बचाओ
ये सचमुच है देवी यकीं तो दिलाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ?
कहाँ हैं….कहाँ हैं….कहाँ हैं……..
मणि


