नववर्ष की नई भोर में
नया स्वप्न फिर बुनती हूँ
नई उम्मीदें नया हौसला
नए तराने सुनती हूँ
नए सूर्य की किरण-किरण से
आलोकित हो उठती हूँ
चिड़ियों के मधुर कलरव में
नए संदेसे सुनती हूँ
इंद्रधनुष के रंग सभी
मन में पल-पल भरती हूँ
ईश्वर की अद्भुत रचना से
अभिभूत हो उठती हूँ
मणि
Reblogged this on manisha tomer's blog.