” फूलों से हमें है प्यार बहुत
पर काँटे भी सह सकते हैं!
वतन को ज़रूरत पड़ जाए
तो आग पे भी चल सकते हैं!
कश्ती जो घिरे तूफानों में
हम लहरों में पतवार बनें!
मौजों के झंझावातों में
हम जीत का जयजयकार बनें
नज़रें न उठा के देखे कोई
भारत के पहरेदार हैं हम!
वफ़ा पर जान लुटा देंगे
गद्दार के लिए ललकार हैं हम!
‘ मणि ‘